मेरा छोटा बच्चा
मेरा बेटाउत्साहित है
अपने बड़े होने केअहसास को जी पाने के लिए
बार-बार जानना चाहता था
कब बाहर जाओगी माँ
मैं इस बार अकेले बिलकुल अकेले
खुद को /घर को संभालूँगामैं हाँ-हाँ करती
ट्रेन में बैठ तो गयी हूं
पर
मन जा अटका है
उसी की ओर
कैसे रहेगा वह
क्या खायेगा
कहीं रात लाइट चली गयी तो?
घर का इनवर्टर भी ख़राब है
वह डरता है
दिन में भी अंधेरे से।
verry good Mamta ji
ReplyDelete!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! Manohar
बहुत गहन अभिव्यक्ति, आज आपकी कई रचनाए पढ़ी अच्छा लगा !
ReplyDeleteMa ka man atka hi rahta hai bacchon ke liye...
ReplyDeleteAchhe se prastut kiya hai aapne, bete ke bade hone ke ahsaas ko aur apni chinta ko.....
Shubhkaamnaen!
ये माँ का मन है .... स्वालंबी बनाना भी चाहता है डर भी लगता है ...
ReplyDeletenice blogs aunty... love it...magar main usakey sath tha....
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