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Thursday, December 10, 2015

सपना

               सपना
मैंने  सपने देखे
सपनों  मे  अट्टालिकाएँ नहीं
झोपड़ी थी
पक्की  सडक नहीं
कच्ची  मिट्टी  थी
नल नहीं नदी थी
चमकीले कपड़े  नहीं थे
थी  तो सूती धोती
कार नहीं साइकिल थी
गैस की जगह था 
लकड़ी का  चूल्हा
बिजली की जगह दीपक था
और था प्रकृति का उजाला /अंधेरा ,
सपना बड़ा छोटा नहीं
दुर्लभ होता है
सो
बंद कर दिया मैंने
सपने देखना
अब सपनों मे नहीं
पक्के  मकान ,एसी की हवा
आर ओ के पानी के  साथ
एल इ डी की रोशनी में
कार जहाज जैसे मशीनों  के  साथ
जिन्दा हूँ मैं
मशीन होकर ।