सपना
मैंने सपने देखे
सपनों मे अट्टालिकाएँ नहीं
झोपड़ी थी
पक्की सडक नहीं
कच्ची मिट्टी थी
नल नहीं नदी थी
चमकीले कपड़े नहीं थे
थी तो सूती धोती
कार नहीं साइकिल थी
गैस की जगह था
लकड़ी का चूल्हा
बिजली की जगह दीपक था
और था प्रकृति का उजाला /अंधेरा ,
सपना बड़ा छोटा नहीं
दुर्लभ होता है
सो
बंद कर दिया मैंने
सपने देखना
अब सपनों मे नहीं
पक्के मकान ,एसी की हवा
आर ओ के पानी के साथ
एल इ डी की रोशनी में
कार जहाज जैसे मशीनों के साथ
जिन्दा हूँ मैं
मशीन होकर ।
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