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Saturday, May 8, 2010

विडम्बना

चढ़ती ज़िन्दगी/छोटी-छोटी फ्रौकें /छोटे-छोटे बाल
पतली -पतली टांगें /कोमल चेहरा
सुख का /प्यार का /अपनेपन का आत्मविश्वास

शनैः शनैः ............
सलवार -कमीजों /पैंट -टॉप बदलता
स्कूल -कॉलेज /दुनिया को जीतने का जज्बा
पर वही विश्वास

फिर

अचानक डोली /कहार
घूंघट /रसोई /ससुराल
सास -ससुर /देवर -ननदें
और भी जाने क्या -क्या बातें
हँसना है मना जहाँ /सिर झुका सुनना / अमल करना
अंतिम सत्य है जीवन का।

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